अपनी अपनी राह
ऐसी ही है ज़िन्दगी की बंदिशें,
अपनी अपनी राह पर ही चलना पड़ता है ।
ज़िन्दगी आसान हो जाती,
अगर उन्में बंदिशें न होती।
इच्छाएँ अनगिनत होती हैं ,
इसलिए राहें आसान हो नहीं पातीं ।
कभी समाज के डर से बदलती है ,
और कभी हमारे अहम् से लड़ नहीं पाती।
ऐसी ही है ज़िन्दगी की कहानी ,
अपनी अपनी सबको लिखनी ही पड़ती है।
-वन्दना सूद