Newहैशटैग ज़िन्दगी पुस्तक के बारे में updates यहाँ से जानें।

Newसभी पाठकों एवं रचनाकारों से विनम्र निवेदन है कि बागी बानी यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करते हुए
उनके बेबाक एवं शानदार गानों को अवश्य सुनें - आपको पसंद आएं तो लाइक,शेयर एवं कमेंट करें Channel Link यहाँ है

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.



The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

Newहैशटैग ज़िन्दगी पुस्तक के बारे में updates यहाँ से जानें।

Newसभी पाठकों एवं रचनाकारों से विनम्र निवेदन है कि बागी बानी यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करते हुए
उनके बेबाक एवं शानदार गानों को अवश्य सुनें - आपको पसंद आएं तो लाइक,शेयर एवं कमेंट करें Channel Link यहाँ है

The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

स्वयं में विश्वास - अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र'

जब राहें हों धुंधली-सी, मंज़िल धुंध में खो जाए,
तब भीतर का दीपक ही, अंधेरों को संजो जाए।

टूटे ख्वाब फिर जुड़ते हैं, हौसलों की लौ जलाकर,
विश्वास स्वयं में हो जब, तो सागर भी हो सधा कर।

नज़रों में हो लक्ष्य अगर, पग रुकते फिर कब हैं,
पर्वत भी झुकते हैं वहां, जहाँ आत्मा में रब हैं।

डगमग जो नैया करे, तू पतवार खुद बन जाना,
औरों से उम्मीद नहीं, खुद को ही अब मनाना।

खुद को पहचानो पहले, फिर जग को जीतोगे,
जो भीतर से न डगमगाए, वही सच्चे बीज बोए।

सपनों की चादर बुननी है, तो संकल्पों को सीना,
हर हार को तू पाठ बना, और जीत का दीपक बीना।

आत्मबल जब साथ हो तेरे, राहें खुद आसान बनें,
थके कदम भी फिर गाते हैं, जब मन में अरमान बनें।

खुद को गिरा के रोना क्या, उठो और चलना सीखो,
कांटों से कह दो – “अब हट जा, मैं फूलों जैसा जीऊँगा।”

विश्वास स्वयं में हो जब, तू जग से नहीं डरता,
खुद ही बन जाता तू दीपक, जो तम को भी हरता।

----अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र'


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है
 जब राहें हों धुंधली-सी      मंज़िल धुंध में खो जाए      तब भीतर का दीपक ही      अंधेरों को संजो जाए      टूटे ख्वाब फिर जुड़ते हैं      हौसलों की लौ जलाकर      विश्वास स्वयं में हो जब      तो सागर भी हो सधा कर      नज़रों में हो लक्ष्य अगर      पग रुकते फिर कब हैं      पर्वत भी झुकते हैं वहां      जहाँ आत्मा में रब हैं      डगमग जो नैया करे      तू पतवार खुद बन जाना      औरों से उम्मीद नहीं      खुद को ही अब मनाना      खुद को पहचानो पहले      फिर जग को जीतोगे      जो भीतर से न डगमगाए      वही सच्चे बीज बोए      सपनों की चादर बुननी है      तो संकल्पों को सीना      हर हार को तू पाठ बना      और जीत का दीपक बीना      आत्मबल जब साथ हो तेरे      राहें खुद आसान बनें      थके कदम भी फिर गाते हैं      जब मन में अरमान बनें      खुद को गिरा के रोना क्या      उठो और चलना सीखो      कांटों से कह दो – “अब हट जा      मैं फूलों जैसा जीऊँगा     ” विश्वास स्वयं में हो जब      तू जग से नहीं डरता      खुद ही बन जाता तू दीपक      जो तम को भी हरता     अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' 


समीक्षा छोड़ने के लिए कृपया पहले रजिस्टर या लॉगिन करें

रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

सुभाष कुमार यादव said

बहुत सुंदर रचना।👌👌🙏

शिवचरण दास said

बहुत खूब अशोक जी. ..विश्वास स्वयं में जब. ..तब ऐसी ही रचना आती है

श्रेयसी said

ख़ुद को गिरा के रोना क्या,उठो और चलना सीखो ..... वाह बहुत सुंदर बहुत ख़ूब बहुत अच्छी सोच अशोक जी आपको सादर प्रणाम 🙏🙏

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

टूटे ख्वाब फिर फिर जुड़ते हैं, हौसलों की लौ जलाकर।मन में हौसले और आत्मविश्वास की दीप जलाती ये कविता की हरेक पंक्ति दिल को छू लेते है। विपरीत परिस्थितियों में भी स्वयं को संभाल कर रखना, आत्मबल से आगे बढ़ना जीवन की निरंतरता है। रचना इतनी सारगर्भित है कि पढ़ते ही पाठकों भाने लगे। वाह वाह वाह!!
सादर नमस्कार।।

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

बहुत ख़ूब! शानदार रचना! हारे, थके, टूटे हुए इंसान के अन्दर भी जोश भर दे! बेहद उम्दा, अशोक जी! आदाब! 👌👌

शिल्पी चड्ढा said

बहुत सुंदर

कविताएं - शायरी - ग़ज़ल श्रेणी में अन्य रचनाऐं




लिखन्तु डॉट कॉम देगा आपको और आपकी रचनाओं को एक नया मुकाम - आप कविता, ग़ज़ल, शायरी, श्लोक, संस्कृत गीत, वास्तविक कहानियां, काल्पनिक कहानियां, कॉमिक्स, हाइकू कविता इत्यादि को हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, इंग्लिश, सिंधी या अन्य किसी भाषा में भी likhantuofficial@gmail.com पर भेज सकते हैं।


लिखते रहिये, पढ़ते रहिये - लिखन्तु डॉट कॉम


लिखन्तु - ऑफिसियल

अब तो बस कर दूर न जा....!

Apr 05, 2024 | कविताएं - शायरी - ग़ज़ल | लिखन्तु - ऑफिसियल  | 👁 28,544
LIKHANTU DOT COM © 2017 - 2025 लिखन्तु डॉट कॉम
Designed, Developed, Maintained & Powered By HTTPS://LETSWRITE.IN
Verified by:
Verified by Scam Adviser
   
Support Our Investors ABOUT US Feedback & Business रचना भेजें रजिस्टर लॉगिन