तेरे निशां कुछ दिल पर, कुछ आसमां पर रह गए..
मुझे जो मालूम नहीं वो सब एहसान जहाँ पर रह गए..।
निकल तो गया घर से मगर रुकते है पांव बार बार..
सोचता हूँ ऐसे क्या ख़्वाब हैं जो उस मकाँ पर रह गए..
मैं तो चुपचाप चलता रहा, उम्मीदों के सहारे..
जरूरत के वक्त ना जाने, मेरे हमदर्द कहां पर रह गए..।
ज़माना हमारी बात का मतलब कुछ और ही समझता रहा..
इसी वज़ह से जाने कितने अफसाने हमारी जुबां पर रह गए..।
फूलों की भंवरों से ही कुछ अदावत थी इस दफा..
मगर जाने कैसे सब के सब इल्ज़ाम बाग़बाँ पर रह गए..।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




