भरते जा रहें धरती पर
बादल विषैले काले काले
नाच रहा है फिर भी मानव
होकर कितने मतवाले
सांसों को तरोताजा करने
निरोगिनी हवा कहां से लाएं
चकाचौंध में लिप्त हैं ऐसे
धड़कन को कैसे समझाएं
प्रगतिकरण की राह में चलकर
पीछे की सुधि लाए कौन
शुद्धिकरण हवा की करने
पूछे कौन, बताये कौन
जल जहर से जल रहा
फल ज़हर से फल रहा
सौंधी मिट्टी सौधेपन को
पी ज़हर उगल रहा
आज पृथ्वी की नसों में
धारा विष सा बह रहा है
त्राहि माम त्राहि माम
मानो कण कण कह रहा है
काश, कोई युक्ति निकले
जा बसें वीरान में
नीले आसमान में
नीले आसमान में।।
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




