स्वयं से स्वयं की मुलाक़ात करिए,
जीवन की पुनः शुरुआत करिए।
बुद्धि का ऐसे भी होगा परीक्षण,
मुश्किल से मुश्किल सवालात करिए।
स्मरण हो ऐसा कि अविस्मरणीय हो,
उत्तम से उत्तम याददाश्त करिए।
भावों को तेरे यह समझे ज़माना,
स्पष्ट सब पर ख़्यालात करिए।
जो स्पर्श कर ले हृदय के तल को,
कुर्बान उस पर यह क़ायनात करिए।
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद