बड़ी मुश्किल से राजी हुआ फिर टाल गया।
आया था सुकून की तलाश में बेहाल गया।।
अब बच नही पाएगा चौराहों से दो राहों से।
कदम सम्हालेगा मगर साथ का ख्याल गया।।
तंग गालियों से कभी वास्ता रहा नहीं उसका।
जद्दोजहद चल रहीं कमाया सारा माल गया।।
लोग बदनाम करेगें और देंगे ताने भी 'उपदेश'।
इससे बच कर निकल पाने का मलाल गया।।
सुना है हिम्मत वालों का किस्मत साथ देती।
मगर अब पलट कर पूछने का सवाल गया।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद