देखना चाहता हूं,
तुम्हारा वो रूप, वो रंग
कुछ, इस तरह,
कि, आइना भी झूठ बोले
कि, तुम मुस्कुरा रही हो
सुनना चाहता हूं,
वो शब्द, वो आवाज़
कुछ इस तरह
भ्रमित हो जाऊं
कि, कुछ बता रही हो
कि,गा रही हो
जीना चाहता हूं, वो पल
कुछ इस तरह
कि, पूछूं स्वयं से
कि, सारे रिश्ते जी रही हो
कि, निभा रही हो
तुम्हें रोकना, टोकना
बिल्कुल नहीं चाहता हूं
किसी बात के लिए
चाहता भी हूं
कुछ इस तरह
कि, कुछ गलतियां करो
और कहो मुझसे
क्यूं रोका नहीं,टोका नहीं
समझना नहीं चाहता हूं
कि, स्वयं मिठास हो
या,जीवन में
मिठास घोले जा रही हो
तुम पर गुस्सा करना चाहता हूं
डर डर कर
थोड़ी सी छल करना चाहता हूं
संभल संभलकर
कुछ,इस तरह
कि, लगे न तुम्हें
कि,हम तुममें समा रहे हैं
कि, तुम हममें समा रही हो
तुम्हारी
निश्छल, निर्मल, चंचल
ह्रदय की अविरल स्पंदन
यथागति में ही रहे
कि कोई न कहे
कि, कुछ जता रही हो।।
सर्वाधिकार अधीन है


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







