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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

कुछ इस तरह

देखना चाहता हूं,
तुम्हारा वो रूप, वो रंग
कुछ, इस तरह,
कि, आइना भी झूठ बोले
कि, तुम मुस्कुरा रही हो
सुनना चाहता हूं,
वो शब्द, वो आवाज़
कुछ इस तरह
भ्रमित हो जाऊं
कि, कुछ बता रही हो
कि,गा रही हो
जीना चाहता हूं, वो पल
कुछ इस तरह
कि, पूछूं स्वयं से
कि, सारे रिश्ते जी रही हो
कि, निभा रही हो
तुम्हें रोकना, टोकना
बिल्कुल नहीं चाहता हूं
किसी बात के लिए
चाहता भी हूं
कुछ इस तरह
कि, कुछ गलतियां करो
और कहो मुझसे
क्यूं रोका नहीं,टोका नहीं
समझना नहीं चाहता हूं
कि, स्वयं मिठास हो
या,जीवन में
मिठास घोले जा रही हो
तुम पर गुस्सा करना चाहता हूं
डर डर कर
थोड़ी सी छल करना चाहता हूं
संभल संभलकर
कुछ,इस तरह
कि, लगे न तुम्हें
कि,हम तुममें समा रहे हैं
कि, तुम हममें समा रही हो
तुम्हारी
निश्छल, निर्मल, चंचल
ह्रदय की अविरल स्पंदन
यथागति में ही रहे
कि कोई न कहे
कि, कुछ जता रही हो।।


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (7)

+

ललित दाधीच said

आपकी कविता ने हमें आनंदमय कर दिया, नसीब भी ऐसा हुआ कि हम दोनों के शीर्षक ही मुलाकाते कर रहे हो, आपकी इस रचना में मेरा मंतव्य ये है कि हर किसी की एक तमन्ना होती है कि वे अपने उस खास शख़्स से मिले, आपकी रचना एक यादों का सरोवर है, आपने उम्दा रचना लिखी बहुत ही सुंदर 🎉🎉🙏🏆 आनंद से सराबोर, धन्यवाद हमें निमंत्रण देने के लिए ❤️❤️💎💎

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

क्या ख़ूब लिखते हैं आप भी मनोज जी! तारीफ़ के लिए शब्द ही नहीं मिलता! लाजवाब! बे-मिसाल! ज़बरदस्त! ये सारे अल्फ़ाज़ कम हैं आपकी तारीफ़ के लिए! ❤️👌🙏

शिवचरण दास said

बहुत खूब. ..निश्छल निर्मल चंचल. .. समदिल

सुभाष कुमार यादव said

हृदय के भावों की सुंदर अभिव्यक्ति। 👌👌

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

ललित जी, आपने मेरी रचना के भावों को महसूस किया , अपनेपन से भरी हृदयस्पर्शी प्रतिक्रिया दी। सचमुच हृदय गदगद हो गया। सादर नमस्कार।, आभार।🌻🙏🙏

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

परवेज जी नमस्कार। बहुत ही प्यारी और खूबसूरत समीक्षा के लिए धन्यवाद आभार 🙏 आपका अपनापन मुझे अच्छी रचना लिखने के लिए प्रेरित करती है।🌻🙏🌻

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

शिव चरण सर जी, सुभाष जी मीठी मीठी प्रतिक्रिया के लिए सादर धन्यवाद, ऐसे ही अपनापन बनाए रखिए कि हमारी लेखनी को ऊर्जा मिलती रहे।🌹❤️🙏❤️🌻

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