जन-जन की यही पुकार,
भ्रष्टाचारियों का मुंह, काला करो मेरे यार।
हवा में जहर घोल रहे, झूठ का पुलिंदा खोल रहे।
गौर से देखो, ये अपने हैं।
खून से ,इनके हाथ सने हैं।
लगा दो अपनी पूरी ताकत,
तोड़ दो इनके, बड़े-बड़े तालों को।
उखाड़ फेंको, शर्म, हया के दरवाजों को।
वरना आज,कतरा- कतरा खून का।
निचोड़ कर, भर लेंगे बोतलों में।
जागो शेरों जागो, बचालो भारत को।
कर दो दफन, भ्रष्टाचारी तोतलों को।