धुँधलके की ओट से झाँकती
गंगा की शांत मुस्कान,
इतिहास समेटे सदियों का
बहती जाती पावन आन।
मंदिरों की सीढ़ियों पर
उतरती सुनहरी रौशनी गति,
घंटों की मधुर गूँज में
लिपटी काशी की चरैवति।
नावों की धीमी चप्पू-सरगम
जल पर उकेरती लय अनोखी,
आरती की लौ में चमक उठती
हर उम्मीद की आँख रोशनी।
रसूलपुर से राजघाट तक
एक सा उजाला फैला है,
सुबह का यह साधु-सा बनारस
हर मन को अपना कहता है।
यहाँ हवा में भी शामिल है
मुक्ति का एक गुप्त संदेश,
हर सांस कहती—ठहर ज़रा
यही है जीवन का असली प्रवेश।
शांत, सरल, गहरी, निर्मल
जैसे कोई दादी की कहानी,
बनारस की सुबह सिखाती—
समय भी होता है साधु प्राणी।


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







