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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

मूल्यों को बदलते देखा है - जीवन दर्शन गीत -वेदव्यास मिश्र

मूल्यों को बदलते देखा है,
इन चौवन-पचपन सालों में !!
पढ़-लिखके अनपढ़ और हुए,
देखा है सभ्य समाजों में !!

अब कोई किसी से कम ही नहीं,
फिर गरज किसे यहाँ झुकने की !!
सब खुद को समझते हैं सक्षम,
परवाह किसे फिर रिश्तों की !!
गिरगिट भी अब लाचार हुआ,
मानव के अजायबख़ाने में !!

पहले ज़ुबान का था मतलब,
जो बोल दिया सो बोल दिया !!
ख़ुद ही एफिडेविट थे वे,
जो मोल किया सो मोल किया !!
जहाँ पेड़ लगाये थे पुरखों ने,
हम काट दिये सब स्वारथ में !!

अब और बतायें क्या-क्या हम,
माना जो जुड़ा है गलत नहीं !!
पर घटा है हममें जितना भी,
घटने की थी ना उम्मीद उतनी !!
घर जबसे बँटे परिवारों में ,
दिन-बदिन तड़प रहे टुकड़ों में !!

-- वेदव्यास मिश्र


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (10)

+

Bhushan Saahu said

Bilkul satya kha shriman

वेदव्यास मिश्र said

Bhushan Saahu जी, आभार मित्र 🙏🙏

डॉ कृतिका सिंह said

Uttam bahut sundar bhavnatmak rachna 🙏

रमेश चंद्र said

Aap kamal ka likhte hain saahab .

रीना कुमारी प्रजापत said

गिरगिट भी अब लाचार हुआ मानव के अजायबखाने में..... यही चल रहा है दुनिया में,

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Pranaam Acharya Ji🙏🙏 bahut sundar tareeke se aapne mulyon aur purane jamane ke jubaani affidavit ko samjhaya hai aajkal to affidavit bhi koi value nhi rakhte

वेदव्यास मिश्र said

डॉ कृतिका सिंह जी, नमन सप्रेम सादर 🙏🙏

वेदव्यास मिश्र said

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' जी, शुभाशीष नमन भाई साहब..और ये सब हमने देखा है..हुआ है हमारे सामने !! पहले कोर्ट-कचहरी का लफड़ा ही नहीं था..सब विश्वास और जुबान पे टिका हुआ था !! मगर सही कहा आपने..आजकल तो एफिडेविट करके भी लोग मुकर जाते हैं !! पुन: नमन सप्रेम !!

वेदव्यास मिश्र said

रमेश चंद्र जी, सब आप जैसे शुभचिन्तकों की दुआएँ हैं भाई साहब..इसके सिवा कुछ और नहीं !! ईश्वर से विनती..आप स्वस्थ रहें और मस्त रहें !! नमस्कार आभार 🙏🙏

वेदव्यास मिश्र said

रीना कुमारी प्रजापत जी, बिगड़ा है सिर्फ मानव..और ताज्जुब ये कि दिनों-दिन सुधरने के बजाय और भी बिगड़ता जा रहा है !! कोरोनाकाल में एक उम्मीद जगी थी कि इन्सानियत लौटेगी एक बार फिर से..मगर नहीं..मनुष्य हैं ये ..मतलबी एक नम्बर के !! सयाने सही कहते थे ..कुत्ता पाल ले मगर आदमी न पाले !! ये है आदमी का गिरा हुआ परिचय मगर सच ये भी है कि इसी मानव में से कई महामानव भी हुए हैं जो देवत्व तुल्य हैं !! आभार रीना जी !! नमस्कार 🙏🙏

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