मैं चोर नही फिर भी चोरी अपने घर में करती।
अपने घर से सीख कर आई वही बचत करती।।
तुम्हें बताने से कोई खतरा खास नही लगता।
तुम ठहरे कवि तुम्हारी अज़्मत मुफ्त में करती।।
बचपन से ही शौक लगा कविताए सुनने का।
माँ संग सत्संग सुनकर 'उपदेश' घर में करती।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद