मुख्तलिफ नहीं है दिल तेरे प्यार से।
पर डरता है दिल तेरे ऐतबार से।
वस्ल पर मिले थे फिरभी तवक्को नहीं है।
पर कहे दिल जो वही सही है।
हो गर थोड़ी सी भी मोहब्बत
तो बताना ज़रूर
दिल में मेरे तू आना ज़रूर
है ये क्यूं किस बात का गुरूर
पर मुझको तो है तेरी मोहब्बत की सुरूर।
इसमें मेरे दिल का क्या कुसूर...
इसमें मेरे दिल का क्या कुसूर..