छापे - डॉ एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात"
दो ही निकले खिलाड़ी,
बाकी थे सब अनाड़ी।
चोर सिपाही का खेल,
वर्षों से खेल रहे थे।
पाई पाई जमा की,
बच्चों ने मिलकर।
वे दोनों हाथ से ,
लूट रहे थे।
अब पढ़ रहे हैं छापे,
खुल रहे हैं खाते।
बातें करते थे गोल गोल,
अब चुका रहे हैं उसका मोल।