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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

तो हँस कर टाल देती हूँ

गांँठ न पड़ जाए
रिश्तों में कहीं
सो मैं हर बातों को
दिल तक
जाने नहीं देती हूँ
कुछ बातों को
एक कान से सुनकर
दूसरे कान से
निकाल देती हूंँ
जानती हूं
जहां ग़लत नहीं हूँ मै
वहां भी गर
ग़लत समझा जाता है
तो हँस कर टाल देती हूँ




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (7)

+

Lekhram Yadav said

बहुत खूबसूरत अंदाज में रचना पेश की, आपको सादर नमस्कार

Shiv Charan Dass said

बहुत खूब

सुभाष कुमार यादव said

बहुत सुंदर रचना।👌👌

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

🙏 सादर प्रणाम 🙏 आपकी यह रचना रिश्तों में समझदारी, सामंजस्य और विवेक की गहरी अभिव्यक्ति है। आपने जीवन के उन भावनात्मक पहलुओं को बहुत सुंदर तरीके से उजागर किया है, जहां कभी-कभी हमें चुप रहकर, समझदारी से काम लेना पड़ता है।यह रचना दृष्टिकोण और सहनशीलता का संदेश देती है, जो रिश्तों को निभाने और जटिलताओं से बचने में मददगार होते हैं।साधारण शब्दों में गहरी भावनाओं का अभिव्यक्तिकरण और तुकांत कविता को एक सहज भावनात्मक अपील प्रदान करते हैं।आपकी रचना रिश्तों की नाजुकता और स्वाभाविक समझदारी को बहुत सुंदरता से चित्रित करती है। यह हमें यह सिखाती है कि कभी-कभी चुप रहना, मौन समझना और व्यक्तिगत दृष्टिकोण को नकारते हुए हल्के-फुल्के तरीके से संवाद करना रिश्तों को बचाए रख सकता है। आपकी रचनात्मक अभिव्यक्ति को सादर नमन 🙏

श्रेयसी said

आप सभी का बहुत-बहुत आभार और अशोक जी इतना अच्छा समझने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया 🙏🙏

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

रिश्तों को सम्हालने के लिए स्वयं से बहुत सारे समझौते करने पड़ते हैं। सुंदर और अर्थपूर्ण रचना। वाह!

Supriya sahu said

बहुत खूबसूरत एवं लाज़वाब रचना मैम 👌👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

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