मैंने तो बस लिखा है
उन्होंने अपने ऊपर तंज
समझ लिया तो इसमें
मेरा क्या कसूर
कोई औरों पर व्यंग्य समझता है
तो कोई अपने ऊपर तंज
जिसके मन का जैसा भाव
वो वैसा ही समझता है तो इसमें
मेरा क्या कसूर
रहे होंगे बुरे भाव उनके हृदय के
मैंने तो उनको अच्छा समझा
उन्होंने मुझे गलत समझ लिया तो इसमें
मेरा क्या कसूर
----डॉ निर्मला शर्मा

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




