जेहन फडफडा रहा मिला उडाने का वचन।
कब तक रोक पायेंगी जज़्बात बहारे चमन।।
अंधेरी रात गूँथने में लगी सितारो का हार।
यादो के जखीरे में दबा जा रहा बेताब मन।।
ऐसे हालातो में बदलने की गुंजाइश नही।
टूटी उम्मीद 'उपदेश' लायेगी कैसे अमन।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद