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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

पेड़ लगाओ

पेड़ लगाओ पेड़ लगाओ
एक दो चार नहीं
अबकी बार हजार लगाओ
पेड़ देते हैं जीवन हमें
फल फूल छाया नितांत
मिट्टी को जड़ से अपनी
बांध कर भूस्खलन को
देते हैं सहजता से रोक
बरखा खूब कराते हैं
हरियाली यह फैलाते हैं
धरती को सजाकर
जीवंत उसे बनाते हैं
हर मन को भाते हैं
देते हैं आश्रय सबको
पशु पक्षी हो या इन्सान
परोपकार है गुण इनका
इस गुण का लाभ उठाओ
स्वार्थी ना तुम बन जाओ
पेड़ लगाओ पेड़ लगाओ
एक दो चार नहीं
अबकी बार हजार लगाओ
कार्बन डाइऑक्साइड शोषित कर
आक्सीजन करतें हैं पोषित
पर्यावरण का संतुलन बनाते
धरा नहीं तपती हमारी
जब फ़ैला देते हैं आंचल
यह हरा भरा सुंदर अपना
सुनो इनको अब तो बचाओ
एक सौ चालीस करोड़ है हम
आओ सब मिलकर इक इक
पेड़ लगाओ मेरे भारत को
हरा-भरा मिलकर बनाओं
पेड़ लगाओ पेड़ लगाओ
एक दो चार नहीं
अबकी बार हजार लगाओ

आम नीम बांज बबूल
कीकर इमली साखू बांस
पीपल पाकर बरगद बेल
छायादार फ़लदार गुलमोहर
पेड़ लगाओ पेड़ लगाओ
एक दो चार नहीं
अबकी बार हजार लगाओ

मौलिक रचना
#✍️अर्पिता पांडेय

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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

Lekhram Yadav said

जीवन को खुशनुमा बनाने के लिए हम पेड़ जरूर लगाएंगे अर्पिता जी। इतना सुंदर सुझाव देने के लिए धन्यवाद।

Arpita pandey replied

Thank you sir ji

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Waah anupam prastuti Mam, 140 karod sochne ki baat hai ek ek ped bhi lagayenge to pura bharat varsh harit hojayega..

Arpita pandey replied

आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार

ताज मोहम्मद said

कविता के माध्यम से बहुत ही उच्च कोटि का msg दिया आपने। आपको सलाम 🙏

Arpita pandey replied

Dhanyawad apka

Devender Kumar said

greatest

Arpita pandey replied

Thank you so much sir

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