पेड़ लगाओ पेड़ लगाओ
एक दो चार नहीं
अबकी बार हजार लगाओ
पेड़ देते हैं जीवन हमें
फल फूल छाया नितांत
मिट्टी को जड़ से अपनी
बांध कर भूस्खलन को
देते हैं सहजता से रोक
बरखा खूब कराते हैं
हरियाली यह फैलाते हैं
धरती को सजाकर
जीवंत उसे बनाते हैं
हर मन को भाते हैं
देते हैं आश्रय सबको
पशु पक्षी हो या इन्सान
परोपकार है गुण इनका
इस गुण का लाभ उठाओ
स्वार्थी ना तुम बन जाओ
पेड़ लगाओ पेड़ लगाओ
एक दो चार नहीं
अबकी बार हजार लगाओ
कार्बन डाइऑक्साइड शोषित कर
आक्सीजन करतें हैं पोषित
पर्यावरण का संतुलन बनाते
धरा नहीं तपती हमारी
जब फ़ैला देते हैं आंचल
यह हरा भरा सुंदर अपना
सुनो इनको अब तो बचाओ
एक सौ चालीस करोड़ है हम
आओ सब मिलकर इक इक
पेड़ लगाओ मेरे भारत को
हरा-भरा मिलकर बनाओं
पेड़ लगाओ पेड़ लगाओ
एक दो चार नहीं
अबकी बार हजार लगाओ
आम नीम बांज बबूल
कीकर इमली साखू बांस
पीपल पाकर बरगद बेल
छायादार फ़लदार गुलमोहर
पेड़ लगाओ पेड़ लगाओ
एक दो चार नहीं
अबकी बार हजार लगाओ
मौलिक रचना
#✍️अर्पिता पांडेय
First' publish in Amar ujala mere alfaz

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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