धरती माँ यहाँ है
वहाँ भी है, और सर्वत्र है
जब हम अपने कदम हिलाते
तभी से हमको संभालकर रखती
धरती माँ जितनी बोझ उठाने पर भी
शक्तिहीन नहीं हो सकती
क्योंकि माँ अपने लिए नहीं अपने बच्चों के लिए सोचती
धरती के बिना संसार को कोई संभाल न कर सकते
वैसे भी स्त्री के बिना परिवार को कोई संभाल न कर सकते ॥