Newहैशटैग ज़िन्दगी पुस्तक के बारे में updates यहाँ से जानें।

Newसभी पाठकों एवं रचनाकारों से विनम्र निवेदन है कि बागी बानी यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करते हुए
उनके बेबाक एवं शानदार गानों को अवश्य सुनें - आपको पसंद आएं तो लाइक,शेयर एवं कमेंट करें Channel Link यहाँ है

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.



The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

Newहैशटैग ज़िन्दगी पुस्तक के बारे में updates यहाँ से जानें।

Newसभी पाठकों एवं रचनाकारों से विनम्र निवेदन है कि बागी बानी यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करते हुए
उनके बेबाक एवं शानदार गानों को अवश्य सुनें - आपको पसंद आएं तो लाइक,शेयर एवं कमेंट करें Channel Link यहाँ है

The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

मैं आज की बेटी हूं-ताज मोहम्मद

मैं आज की बेटी हूं,,,
मस्तक ऊंचा करके जीती हूं।।
समाज का मैं अब,,,
कोई अपमान ना सहती हूं।।

मैं आज की बेटी हूं...
मान,सम्मान से मैं जीती हूं।।
जग के रीति रिवाज़ का,,,
डटकर सामना करती हूं।।

रोना धोना मैंने छोड़ दिया है,,,
स्वयं को मै सम्मान दिलाती हूं।।
मैं पढ़ लिखकर अब,,,
पुरुषो संग ताल मिलाती हूं।।

नारी हूं मै सम्मान की,,,
कोई भोग की वस्तु नहीं।।
बहुत जी लिया अपमान की,,,
अब मैं केवल आभूषण वस्त्र नहीं।।

सारे रूप है मेरे अन्दर,,,
अब मै भी हूं एक गहरा समंदर।।
चलने को सारी जमीं पड़ी है,,,
उड़ने को है ये नीला अंबर।।

मै ना केवल उर्वशी,रंभा हूं,,,
रूप में अब दुर्गा,चण्डी मैं काली हूं।।
अत्याचार अब ना सहूंगी,,,
मैं भी हो गई अब शक्तिशाली हूं।।

योद्धा बनकर मैं लड़ती हूं,,,
किसी से मैं अब ना डरती हूं।।
मै भी अब इंसान बनी हूं,,,
बंदिशो में अब ना रहती हूं।।

मैं आज की बेटी हूं।
मैं सुख मैं समृद्धि हूं।।
ईश्वर की मैं सुन्दर कृति हूं।
मैं स्वयं में एक सम्पूर्ण सृष्टि हूं।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ




समीक्षा छोड़ने के लिए कृपया पहले रजिस्टर या लॉगिन करें

रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

रमेश चंद्र said

प्रेरणादायक कविता

ताज मोहम्मद replied

बहुत बहुत शुक्रिया भाई जी।

Bhushan Saahu said

बेटियों के सम्मान में इतनी सुंदर रचना आप सच में एक नेक दिल इंसान है जिनके विचार itne सुंदर हैं

ताज मोहम्मद replied

आपका तहे दिल से शुक्रिया।

अमित श्रीवास्तव said

You are best Bhai. 🙏👏👏

ताज मोहम्मद replied

Thank you so much

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Natmastak hu aapke vicharon ke liye aur rachna ke liye

ताज मोहम्मद replied

ऐसा न कहे श्रीमान जी। नतमस्तक मैं हो जाता हूं आपकी समीक्षा से। धन्यवाद।

कविताएं - शायरी - ग़ज़ल श्रेणी में अन्य रचनाऐं




लिखन्तु डॉट कॉम देगा आपको और आपकी रचनाओं को एक नया मुकाम - आप कविता, ग़ज़ल, शायरी, श्लोक, संस्कृत गीत, वास्तविक कहानियां, काल्पनिक कहानियां, कॉमिक्स, हाइकू कविता इत्यादि को हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, इंग्लिश, सिंधी या अन्य किसी भाषा में भी likhantuofficial@gmail.com पर भेज सकते हैं।


लिखते रहिये, पढ़ते रहिये - लिखन्तु डॉट कॉम


© 2017 - 2025 लिखन्तु डॉट कॉम
Designed, Developed, Maintained & Powered By HTTPS://LETSWRITE.IN
Verified by:
Verified by Scam Adviser
   
Support Our Investors ABOUT US Feedback & Business रचना भेजें रजिस्टर लॉगिन