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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मैं आज की बेटी हूं-ताज मोहम्मद

मैं आज की बेटी हूं,,,
मस्तक ऊंचा करके जीती हूं।।
समाज का मैं अब,,,
कोई अपमान ना सहती हूं।।

मैं आज की बेटी हूं...
मान,सम्मान से मैं जीती हूं।।
जग के रीति रिवाज़ का,,,
डटकर सामना करती हूं।।

रोना धोना मैंने छोड़ दिया है,,,
स्वयं को मै सम्मान दिलाती हूं।।
मैं पढ़ लिखकर अब,,,
पुरुषो संग ताल मिलाती हूं।।

नारी हूं मै सम्मान की,,,
कोई भोग की वस्तु नहीं।।
बहुत जी लिया अपमान की,,,
अब मैं केवल आभूषण वस्त्र नहीं।।

सारे रूप है मेरे अन्दर,,,
अब मै भी हूं एक गहरा समंदर।।
चलने को सारी जमीं पड़ी है,,,
उड़ने को है ये नीला अंबर।।

मै ना केवल उर्वशी,रंभा हूं,,,
रूप में अब दुर्गा,चण्डी मैं काली हूं।।
अत्याचार अब ना सहूंगी,,,
मैं भी हो गई अब शक्तिशाली हूं।।

योद्धा बनकर मैं लड़ती हूं,,,
किसी से मैं अब ना डरती हूं।।
मै भी अब इंसान बनी हूं,,,
बंदिशो में अब ना रहती हूं।।

मैं आज की बेटी हूं।
मैं सुख मैं समृद्धि हूं।।
ईश्वर की मैं सुन्दर कृति हूं।
मैं स्वयं में एक सम्पूर्ण सृष्टि हूं।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

रमेश चंद्र said

प्रेरणादायक कविता

ताज मोहम्मद replied

बहुत बहुत शुक्रिया भाई जी।

Bhushan Saahu said

बेटियों के सम्मान में इतनी सुंदर रचना आप सच में एक नेक दिल इंसान है जिनके विचार itne सुंदर हैं

ताज मोहम्मद replied

आपका तहे दिल से शुक्रिया।

Amit Shrivastav said

You are best Bhai. 🙏👏👏

ताज मोहम्मद replied

Thank you so much

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Natmastak hu aapke vicharon ke liye aur rachna ke liye

ताज मोहम्मद replied

ऐसा न कहे श्रीमान जी। नतमस्तक मैं हो जाता हूं आपकी समीक्षा से। धन्यवाद।

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