विचारों का भेद !
सभ्यता तोड़ गया
वाणी की सहजता छोड़ गया..
पीढ़ी का अन्तर !
रिश्ते नातों का फर्क भूल गया
चेतनता से जड़ की ओर चल पड़ा..
जीवनशैली का रंग!
गलतफैमियाँ और बहस सिखा गया
माता पिता को अयोग्यता का एहसास करवाने लगा..
व्यवहार का मर्म!
बड़ों का बुढ़ापा ख़राब कर गया
हमारे बच्चों को ही हमारे भविष्य का आईना बना गया ..
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है