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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मेरी नानी मां थी वो

परियों की कहानियां सुनाया करती थी वो।
मेरी नानीमां थी वो। 1

अपनी गोदी में सुकून से मिलाया करती थी वो।
मेरी नानीमां थी वो। 2

अपने साड़ी के पल्ले से मेरा मुंह ढककर मुझे सुलाया करती थी वो।
मेरी नानीमां थी वो। 3

अपने पल्ले की गांठ से मुझे खज़ाना दिया करती थी वो।
मेरी नानीमां थी वो। 4

अपनी ही थाली में मुझे बड़े दुलार से खिलाया करती थी वो।
मेरी नानीमां थी वो। 5

मेरा ख्याल रखने के लिए मुझे अच्छी बातें बताया करती थी वो।
मेरी नानीमां थी वो। 6

मुझ पर अपना वात्सल्य बेफिक्री से लुटाया करती थी वो।
मेरी नानीमां थी वो। 7

बहुत प्यारी नानीमां थी वो..
मेरी नानीमां थी वो..

_______मनीषा




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

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वन्दना सूद said

बहुत सुंदर रचना sir आजकल के बच्चों ने ऐसी भावनाओं को जिया ही कहाँ है असली खजाना तो यही है

मनीषा replied

धन्यवाद mam वन्दना सूद जी आपका..🙏🙏 ननिहाल में मिला दुलार आपको आगे बढ़ने में सक्षम स्वाभिमानी बनाता है।

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

बहुत सुंदर प्यारी कविता।

मनीषा replied

धन्यवाद sir मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" जी आपका.. 🙏🙏

शिवचरण दास said

नानी के साथ माँ भी वाह वाह

मनीषा replied

जी sir धन्यवाद शिवचरण दास जी आपका ..🙏🙏

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