जो अज़ीज़ है वो ख़ास क्यों नहीं होता,
उसके बिना दिल उदास क्यों नहीं होता।
जिसे हमेशा पाना चाहता था ख्वाबों में,
वो हमेशा अब मेरे पास क्यों नहीं होता।
जिसने किया है, मेरे दिल को रोशन,
उसके दिल में उजास क्यों नहीं होता।
क्या मर चुकी है तेरे अंदर आदमियत,
तुझे दर्द का अहसास क्यों नहीं होता।
🖊️सुभाष कुमार यादव