पहले शबनम सी बरसी कोहरे ने दबिश दी।
सब्र रज़ाई से झाँकता सर्दी में बारिश पड़ी।।
गरम गरम चाय का वक्त आया चुस्की ली।
बनाने वाली महबूबा ने हल्की सी मुस्की ली।।
तभी धरती हिली घबरा गया मन सोचकर।
विश्वास करना पड़ा खुदाई ने फिरकी ली।।
दरवाज़ा पकड़े खड़ी रहीं कुछ कह न पाई।
तमन्ना दिल में 'उपदेश' टेढ़ी शक्ल बना ली।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




