तू ख्वाब है, तू है गज़ल,
तू है तराशा हुआ महल।
कह न सकूँ जिसे लफ़्ज़ों में,
तू है वो आने वाला पल।
देख कर तुझे हुआ मदहोश,
इश्क़ हुआ मुझे पहले-पहल।
रूप तेरा जैसे कोई जादू,
बदन तेरा जैसे हो मखमल।
तू मन मन्दिर की देवी,
आसन तेरा स्वर्ण कमल।
🖊️सुभाष कुमार यादव