संसार की सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि
हर किसी को अपनी तारीफ़ सुनकर ख़राब होना तो पसंद है
लेकिन सच्ची आलोचना सुनकर सँभलना पसंद नहीं है ।
वन्दना सूद
यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है
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