ये आपसी रंजीशें किसी के मरने के बाद ही
क्यों ख़त्म होती ?
जीते जी क्यों ना मिट पाती ?
ये तारीफ़ें इस जहां से मरने के बाद ही
क्यों मिलती ?
पहले क्यों ना मिल पाती ?
ये कामयाबी सब कुछ खो देने के बाद ही
क्यों मिलती ?
सब रहते हुए क्यों ना मिल पाती ?
ये रिश्ते सब कुछ बर्बाद हो जाने के बाद ही
क्यों गहरे होते ?
पहले ही क्यों ना इनमें मिठास घुल पाती ?
ये खुशियां हज़ारों गमों के बाद ही क्यों मिलती ?
पहले क्यों ना मिल पाती ?
ये ज़िंदगी इतने दर्द झेलने के बाद ही
क्यों संवरती ?
पहले क्यों ना संवर पाती ?
💐 रीना कुमारी प्रजापत 🖋️