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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

ये ज़माना खुद के लिए हीं जीता है...

नहीं मिलता यहां
वफ़ा के बदले वफ़ा ।
लूटा दो सबकुछ
फिरभी कुछ नहीं
मिलता ।
उल्टे जिनके लिए
वफा किए
वो हीं ज़ख़्म दे जातें हैं।
और चाहत पे मर मिटने वाले
बस तड़प कर रह जातें हैं।
या खुदा ये दिल क्यूं बनाया
क्यूं इसे किसी और के लिए
धड़काया ?
क्यूं झूठे मोह माया में
फसाया ?
यहां चाहतों की कोई कीमत
नहीं..
अंत में सबकुछ लूटजाता है।
बंदा खालीपन अकेलापन
एकांकीपन में मर जाता है।
और यहां किसी को घंटा फ़र्क नहीं
पड़ता है।
है ज़माना बड़ा हीं
संगदिल तंगदिल
अपना मैल भी नहीं
देना चाहता है ।
अरे देने की क्या बात कहें
ये ज़माना कपड़े तक उतर
ले जाता है।
मतलबी ज़माने के मतलबी
लोग यहां...
तुम्हारे दु:खों तकलीफों से..
उनको कुछ भी नहीं फ़र्क पड़ता है ।
तुम ज़माने के लिए जीते जी मर जाते
और ज़माना ख़ुद के लिए हीं जीता है..
ये ज़माना खुद के लिए हीं जीता है....




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

Lekhram Yadav said

सुजीत आनन्द जी नमस्कार, आपने सही कहा ये जमाना खुद के लिए ही जीता है, अब आप खुद को ही देख लीजिए, आप अपनी कविता पर प्रतिक्रिया तो चाहते हैं मगर आज तक आपने किसी और की कविता पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देते, यह सब क्या है। जरा यह सोच कर देखो कि पूरी दुनियां के लोग आपके साथी हैं, उनके साथ प्यार से मिलजुलकर रहा जाए, हर पल का मजा मिलजुलकर लिया जाए, हर दुख को अपना बनाया जाए और अपना मतलब छोड़कर दूसरों की खुशी को अपनाया जाए, दूसरों की कविता को अपनाएं ,गृह करें और उस पर टिप्पणी करके उसका भरपूर आनन्द लिया जाए तो मन को कितना अच्छा लगेगा, यह खुद ही सोच कर देखिए,आपको खुद ही पता चल जाएगा कि कौन खुद के लिए जी रहा है और कौन दूसरों के लिए, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut khoob Anand sir Uttam prasang Satya se paripurn rachna Saadar Pranam 🙏🙏

वन्दना सूद said

बहुत सही लिखा आपने 👏👏👌👌हर कोई अपने अपने स्वार्थ से ही एक दूसरे से जुड़ा हुआ है

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