नहीं मिलता यहां
वफ़ा के बदले वफ़ा ।
लूटा दो सबकुछ
फिरभी कुछ नहीं
मिलता ।
उल्टे जिनके लिए
वफा किए
वो हीं ज़ख़्म दे जातें हैं।
और चाहत पे मर मिटने वाले
बस तड़प कर रह जातें हैं।
या खुदा ये दिल क्यूं बनाया
क्यूं इसे किसी और के लिए
धड़काया ?
क्यूं झूठे मोह माया में
फसाया ?
यहां चाहतों की कोई कीमत
नहीं..
अंत में सबकुछ लूटजाता है।
बंदा खालीपन अकेलापन
एकांकीपन में मर जाता है।
और यहां किसी को घंटा फ़र्क नहीं
पड़ता है।
है ज़माना बड़ा हीं
संगदिल तंगदिल
अपना मैल भी नहीं
देना चाहता है ।
अरे देने की क्या बात कहें
ये ज़माना कपड़े तक उतर
ले जाता है।
मतलबी ज़माने के मतलबी
लोग यहां...
तुम्हारे दु:खों तकलीफों से..
उनको कुछ भी नहीं फ़र्क पड़ता है ।
तुम ज़माने के लिए जीते जी मर जाते
और ज़माना ख़ुद के लिए हीं जीता है..
ये ज़माना खुद के लिए हीं जीता है....