अफ़साना एक राहगीर का
एक अफ़साना ऐसा भी
जो फ़साना बना हर दिल का
क्या कहानी हमारी तुम्हारी
ज़रा सुनो उसकी ज़िन्दगी की रवानी..
एक राहगीर चला नयी राह
कुछ राही जुड़े ऐसे
अपनों से ही जुदा उसे कर दिया
अनजानों में भी अनजान वह रह गया..
आँखें कभी सूखी नहीं
हर शौक मिट गया उसका
अपनों के जीने के लिए जीना भी जरूरी था
सो हिम्मत को अपनी टूटने दे यह मुमकिन नहीं था
निखारा चरित्र उसने अपना ऐसा
कितनों का सारथी बन साथ निभाया
तो कुदरत ने भी उसका खूब मान बढ़ाया
उसकी आँखें अब कभी गीली न हों ऐसा उसके लिए सुंदर संसार बनाया ..
आज कितने ही अपनी थाली से उसको वात्सल्य परोसते हैं
कितने ही भाई बहन बन उसको तन्हा नहीं छोड़ते हैं
गाथा इस राहगीर की कुछ पंक्तियों में पूरी नहीं हो पाएगी
यह ऐसा अफ़साना है जो उसके मुखातिब होकर ही एहसास किया जाएगा ..
वंदना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




