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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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कविता की खुँटी

                    

बहना चालीसा के विमोचन के साथ अभिषेक मिश्रा ने बांधा भाई-बहन का स्नेह

Aug 09, 2025 | कविताएं - शायरी - ग़ज़ल | लिखन्तु - ऑफिसियल  |  👁 47,543

###बहना चालीसा’ के विमोचन के साथ अभिषेक मिश्रा ने बांधा भाई-बहन का स्नेह
बहना चालीसा’ के विमोचन के साथ अभिषेक मिश्रा ने बंधा भाई-बहन का स्नेह

रक्षा बंधन के पावन अवसर पर बलिया के युवा कवि अभिषेक मिश्रा ने अपनी कलम से एक ऐसी अनुपम रचना रची है, जो भाई-बहन के रिश्ते की अमर गाथा के रूप में साहित्य में दर्ज हो जाएगी।
“बहना चालीसा” सिर्फ़ शब्दों का संकलन नहीं है, बल्कि स्नेह, ममता, त्याग और बचपन की मीठी यादों से सजाया गया भावनाओं का एक मंदिर है।

इस काव्य में दोहों और चौपाइयों के माध्यम से बहन के स्वरूप को देवी के समान दर्शाया गया है—कभी वह माँ बनकर संरक्षण देती है, कभी गुरु बनकर राह दिखाती है, तो कभी त्याग और बलिदान की प्रतिमूर्ति बन जाती है।

कवि अभिषेक मिश्रा कहते हैं—

“मेरे लिए बहन केवल एक रिश्ता नहीं, बल्कि जीवन का सबसे अनमोल आशीर्वाद है। ‘बहना चालीसा’ लिखना मेरे लिए भावनाओं का सबसे बड़ा पर्व था।”

इस रचना में कुल 30 चौपाइयाँ हैं, जो बहन के बचपन, विवाह, ससुराल, भाई के लिए त्याग, राखी का पवित्र बंधन और विदाई के आँसू तक की गहन अनुभूति को समेटती हैं।

🌸 बहना चालीसा 🌸

॥ दोहा ॥
स्नेह-सुमन सरसाइ बहै, राखी रस की धार।
मंगल मूर्ति बहन रूप, बंधे प्रेम उपहार॥

अभिषेक वंदन करे, बहना चरणों धार।
तेरे पावन प्रेम से, जीवन हो उजियार॥

॥ चालीसा (चौपाई) ॥

जय बहना स्नेह की रानी।
ममता रूपी जीवन वाणी॥

तेरी महिमा कौन बखाने।
हर रिश्ते में प्रेम जगावे॥

बाल्यकाल में साथ निभाया।
हर मुस्कान में दुख छुपाया॥

बचपन की तू राजकुमारी।
भाई की तू रही सहारी॥

राखी बाँधे रख भाव पवित्रा।
मन में बसती शक्ति चित्रा॥

रूठे तो खुद पास बुलाए।
माँ जैसी ममता बरसाए॥

तू लक्ष्मी बन घर में आए।
भाई के हित द्वार सजाए॥

तेरी हँसी सुखद सुनाई।
मन में शांति करे समाई॥

तेरी आँखें स्वप्न सँवारे।
तेरे आँसू दुख सब मारे॥

तू ही शक्ति, तू ही पूजा।
तू ही सेवा, तू ही दूजा॥

तेरे बिना घर सूना लागे।
भाई का रोया मन जागे॥

सावन लाया राखी-प्रीत।
तेरे बिना सब है अतीत।।

तेरी बातें हैं शीतल छाया।
दुख के बादल भी मुस्काया॥

भाई को जो संकट घेरे।
बहना उसकी ढाल सवारे॥

भाई बीमार हुआ जो भारी।
बहना रखे उपवास तुम्हारी॥

तेरे हाथों का हर निवाला।
माँ के लड्डू सा रसवाला॥

तेरे आँचल की वो छाया।
सब संकट से दे बचाया॥

कभी बहन माँ बन जाए।
कभी गुरु बन राह दिखाए॥

त्यागी रूप, सरलता भारी।
हर रूप में बहना न्यारी॥

तेरा नाम जपे जो प्राणी,
सुख बरसे घर-आंगन सारा॥

तेरे बिना सूने त्योहार।
मन ना माने, ना हो बहार॥

तू ससुराल में राजदुलारी।
बाबुल घर की तू उजियारी॥

बचपन में तू संग बतियाए।
अब दूरी पर अश्रु बहाए॥

हर जन्म में तू साथ निभाना।
बहन बन हर बार तुम आना॥

तू ही श्रद्धा, तू ही भक्ति।
तेरे बिना न पूर्ण शक्ति॥

अश्रु भी तेरे अमृत बनते।
हर शब्दों में गीत जपते॥

हर मन में तू दीप जलाए।
तेरे बिन स्नेह न आए॥

भाई बोले दिल से प्यारा।
मेरी बहना, तुझपे न्यारा॥

बहना चालीसा जो जन गावे।
भाई-बहन सुख-फल पावे।।

द्वेष मिटे, हो प्रेम अपारा।
संग रहे खुशियों का धारा॥

॥ समापन दोहा ॥

बहना चालीसा गाए जग, अभिषेक की वाणी।
हर बहन में देखे वो, ममता की बलिदानी॥

अभिषेक वंदन करै, बहना चरणन पाय।
राखी बंधन अमर रहे, जग में प्रेम समाय॥

बोलो सब बहना चालीसा की जय।
बोलो सब बहना महारानी की जय॥

समापन
रक्षा बंधन के इस पावन पर्व पर “बहना चालीसा” पढ़ते समय पाठक न केवल भावुक होंगे, बल्कि भाई-बहन के रिश्ते की गहराई और पवित्रता को भी महसूस करेंगे। यह रचना न सिर्फ़ साहित्य में एक नया प्रयोग है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक प्रेरणास्रोत बन सकती है।

लेखक परिचय
अभिषेक मिश्रा, बैरिया, बलिया के छोटे से गाँव चकिया में जन्मे और पले-बढ़े। गाँव की मिट्टी की खुशबू और जीवन के संघर्ष उनकी रचनाओं में स्पष्ट झलकते हैं। पढ़ाई के साथ-साथ साहित्य साधना में निरंतर सक्रिय अभिषेक ने अपनी कलम से भाई-बहन के रिश्तों, पारिवारिक भावनाओं और ग्रामीण जीवन की गहराई को सहजता से शब्द दिए हैं। “बहना चालीसा” उनके जीवन के अनुभवों, बचपन की यादों और रिश्तों की सच्ची भावनाओं का सुंदर संगम है, जो हर पाठक के दिल को छू जाएगा।




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वाह,हरेक बंध में भावनाओं की गंगा बह रही है।अति, सुंदर 👌👌 रचना के लिए हृदय से बधाई 🌻🌻🙏

Lekhram Yadav said

बहुत खूबसूरत बहना चालिसा,आपको सादर नमस्कार

रीना कुमारी प्रजापत said

Waah abhishek ji dhanya hai aap ... Natmastak hai hum apki is bahna chalisa ke aage🙌🙌🙌🙏🙏 Happy raakhi

सरिता पाठक said

अभिषेक जी बहन चालीसा बहुत ही सुन्दर लिखी है, आपको बहुत बहुत बधाई और मुबारक बाद 🙏👌

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