सांसे भी एक
डॉ. एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात "
रंग तो सबका लाल है,
साँसें भी एक,
फिर क्यों ये दीवारें,
क्यों नफरत की टेक?
डॉ. एच सी विपिन कुमार जैन विख्यात ने समझाया,
प्रेम का ही पाठ,
सबका मालिक एक है,
क्यों अलग ये ठाठ?
ये नफरत का बीज,
कहाँ से है आया,
क्यों भाई को भाई से,
बैरी बनाया?
मिट्टी से जन्मे हम,
मिट्टी में जाना,
फिर क्यों ये तेरा मेरा,
क्यों बेगाना?
खुदा हो या ईश्वर,
नाम हैं ये दो,
पर रोशनी तो सबकी,
है एक समान।
आओ मिलकर गाएं,
प्यार का ही गान,
छोड़ो ये बैर भाव,
बनो इंसान।
एक ही धरा पर,
हम सब हैं भाई,
क्यों न मिलकर रचें,
सुन्दर सच्चाई?