बादल घिर कर आ गए हल्की हल्की फुहार।
जाम उठाते हाथ मे तन्हाई का चढ़ा बुखार।।
आग से आग न बुझी खिला जाम का फूल।
भूल जा शिकवा गिला दिल मे लाड-दुलार।।
मुकद्दर के पार भी चांद चमकता दिख रहा।
'उपदेश' बेचारा क्या करे घुमड़ने लगी पुकार।।
सब कुछ बदल जाएगा किस्मत को छोड़कर।
दो तीन पेग के बाद मे हूक का गहरा वार।।
- उपदेश कुमार
गाजियाबाद