तुम्हारी मुस्कुराहट में प्रेम झांक रहा।
निगाह बड़ी पैनी नज़र से आंक रहा।।
मुझको लगता तुझमे जादू का इल्म।
मुँह में गोला अंदर से बाहर ताक रहा।।
हाथ की सफाई करने मे माहिर लगाती।
जैसे ही हाथ फेरा 'उपदेश' अवाक रहा।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद