- अशोक कुमार पचौरी - हर किसी की एक कहानी
गांव से शहर निकला,
चार पैसे कमाने को।
पेट पालने के लिए तो,
कभी बच्चों को पढ़ाने को।
कभी साइकिल से भागा,
कभी भागा बस पकड़ने।
कभी दोनों में से कुछ न हुआ,
पैदल चल, शरीर लगा अकड़ने।
जैसे तैसे इतना कुछ कर,
पेट भी पाला बच्चे भी।
अब हाथ पैर,साथ नहीं देते,
बच्चों ने भी साथ छोड़ा,
वो भी लगे,अंग्रेजी में अकड़ने।
-अशोक कुमार पचौरी
(जिला एवं शहर अलीगढ से)
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