पढ़ लिख कर पोथी किताब
नौकरी के फार्म भरत हई हजार
परीक्षा क इंतजार में बरवा गईल
पकाय बरवा गईल पकाय
अब कोउ ना होत सहाय
बाप माई कोसत हय
बहिना बैठल मुंह फुलाय
यार दोस्त चुटकी लेत हय
दिमगवा गईल हमार भन्नाय
बांध के गठरी निकलव हमउ
अब जाईब शहरे कमाये
दूर चार जौन पैसा मिलि
ओइसे जियरा बहिलायब
रूठल हैई बहिना हमार
राखी के उपहार ले आईब
✍️#अर्पिता पांडेय