समय समय की बात है
सब समय समय की बात है
दिनों में बँट गए कुछ दिन ऐसे
जो थे हर पल के
अब रह गए पल भर के जैसे
साल में एक दिन पिता का
एक भाई का ,एक बेटी का
हर क्षण है,जिनके बिना अधूरा
इसलिए एक दिन माँ के नाम भी किया
क्या खूब हैं दुनिया के दसतूर
एक वरिष्ठ नागरिक दिवस भी बनाया
दो पल की खुशी देकर उनको अकेलापन दे दिया
डोर के बिना पतंग कहाँ तक उड़ पाएगी
जड़ काट कर हम भी कब तक पनप पाएँगे
बेशक उनकी उम्र ने यादों से दूर कर दिया हो हमें
क्या अब हमारी आज़ादी ने हमें यह भी भूल दिया
कि वो हमें भूल गए हैं ,हमें तो अच्छे से याद है !
कि वो हमारे कौन हैं ??
वन्दना सूद