जो चला गया वो कभी लौटकर आ नहीं सकता
जैसे टूटा हुआ फूल फिर डाली से जुड़ नहीं सकता
सच है मौसम आते-जाते रहते हैं लेकिन
गुज़रा ख़ुशनुमा पल कभी आ नहीं सकता
कहना आसान है कभी धैर्य मत खोना मगर
बेवजह कोई धैर्य अपना बांध नहीं सकता
हाथों की लकीरें कोई पढ़े भी तो कैसे और
जो लिखा है वो कभी कोई मिटा नहीं सकता


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







