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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मिटा नहीं सकता

जो चला गया वो कभी लौटकर आ नहीं सकता
जैसे टूटा हुआ फूल फिर डाली से जुड़ नहीं सकता

सच है मौसम आते-जाते रहते हैं लेकिन
गुज़रा ख़ुशनुमा पल कभी आ नहीं सकता

कहना आसान है कभी धैर्य मत खोना मगर
बेवजह कोई धैर्य अपना बांध नहीं सकता

हाथों की लकीरें कोई पढ़े भी तो कैसे और
जो लिखा है वो कभी कोई मिटा नहीं सकता




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (12)

+

Lekhram Yadav said

बहुत लाजवाब पंक्तियां, आपको सुप्रभात सहित सादर नमस्कार

श्रेयसी said

समझने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। सुप्रभात सादर प्रणाम लेखराम भैया 🙏🙏

Updesh Kumar Shakyawar said

कहना आसान है कभी धैर्य मत खोना मगर...बेवजह कोई धैर्य अपना बांध नहीं सकता। खूबसूरत पंक्तियाँ

रीना कुमारी प्रजापत said

Aahaa! Kya baat hai 👌👌🙏😊

Supriya sahu said

बहुत सुंदर पंक्ति “ जो लिखा है वो कभी कोई मिटा नहीं सकता”, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

श्रेयसी said

बहुत-बहुत आभार उपदेश सर 🙏🙏

श्रेयसी said

शुक्रिया रीना जी 🙌🙌

श्रेयसी said

बहुत-बहुत आभार सुप्रिया जी इतना अच्छा समझने के लिए 🙏🙏

अनिल भारद्वाज एडवोकेट said

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति बधाई

श्रेयसी said

बहुत-बहुत आभार अनिल जी 🙏🙏

वन्दना सूद said

बहुत खूब लिखा आपने 👌👌👏👏✍️भावनाओं से भरी हुई पंक्तियाँ

श्रेयसी said

बहुत-बहुत आभार वंदना जी, मैं जिस भावना से लिखती हूं आप बिल्कुल वही समझतीं है।🙏🙏

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