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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

क्या इसी को सोने की चिड़ियां कहते हैं..

मयस्सर नहीं दो जुन की रोटी ।
नोच ना ले किसी गरीब की बोटी ।
यहां उल्टी गंगा बहती है।
ध्यान से सुनना इन लहरों को
कितनी दर्द भरी ध्वनि निकलतीं हैं।
खूबसूरत दिख रही इस दुनियां में
कितनी प्यार पे कसती है।
ये दुनियां एक तरफ़ रंगीन
तो दूसरी तरफ़ रंगहीन दिखती है।
और रिश्तों के ताने बाने क्या कहिए जनाब
यहां बाप बेटे का बेटा तो मां बेटे की बीबी
बन जाती है , अब और क्या कहें यारों..
यहां रिश्तों की तो मां बहन हो जाती है।
चकाचौंध के इस औंध में
सबकुछ फीका फीका है।
कौन कहो कब कहां हारा कब कहो कौन जीता है।
पाप सागर में पुण्य खड़ा हो
पाप को अपने धोता है।
यहां आंख वाले अंधे
कान वाले बहरे
और जबान वाले गूंगे हैं।
गलियों में बहार की
रंग खिजां के गहरें हैं।
जहां ना मान मर्यादा का ख्याल
लोगों की हो टेंढी चाल।
जो चलते हर समय गहरी चाल।
यहां अपने अपनों से हैं परेशान
फिरभी ना जाने किस बात का है अभिमान
यहां बात बात पर लोग आपा खोतें हैं।
सौ बीघे की जोत हैं फिरभी
आने आने के लिए लड़ते हैं।
मयस्सर नहीं सभी को दो जुन की रोटी
क्या इसी को सोने की चिड़ियां कहते हैं..
क्या इसी को सोने की चिड़ियां कहते कहते...




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

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रमेश चंद्र said

Kamal ka likha ha..aur bilkul satya kha ha. पाप सागर में पुण्य खड़ा हो पाप को अपने धोता है। bahut bdiya.

Komal Raju said

Koi words nahi ha mere pas...bahut achaa likha ha. Bas itna hi khna chahunga.

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Waah Anand sir adbhut kamaal kar diya magic naman karta hu aapki lekhni or aap dono ko 🙏🙏

Shyam Kumar said

Bahut badiya....iska to koi jabab nhi. Behtarin se bhi upar h ye rachna.

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