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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

लगता है

लगता है, ये बुरा सपना सच हो उससे पहले
कहीं और बसर करना पड़ेगा,
हमें अब मिन्नतों का सिलसिला शुरू करना पड़ेगा।
ये सपना आज आया क्यों मुझे,
लगता है अब मुझे अपना ये घर छोड़ना पड़ेगा।।

कुछ अच्छा भी था कुछ बुरा भी था ये सपना,
मेरा घर उजड़ा तो क्या हुआ?
मेरे ही किसी अपने का तो घर बसा रहा था ये सपना। कभी-कभी वो ख़याल आ जाया करता था
जो आज सपने में मैंने देखा था,
जो भी हो पर लगता है सच तो होगा ही ये सपना।।

हर वक्त एक डर लगा रहता है दिल में मेरे
कि आगे होगा क्या,
इस सफर में मुझे कोई हमसफ़र मिलेगा क्या।
मेरा हाल कुछ भी हो मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता,
पर डर ये है कि मेरे उस अपने का होगा क्या..?
✍️ रीना कुमारी प्रजापत




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

Lekhram Yadav said

बहुत अच्छी प्रस्तुति है आपकी मेरी प्यारी बहना। कामयाबी के लिए ख्वाब देखना और घर छोड़ना उचित है लेकिन बेवजह डर कर जीना या घर छोड़ना बिल्कुल भी अच्छा नहीं है। सुप्रभात।

रीना कुमारी प्रजापत replied

शुक्रिया

Manju Sharma said

Sundar prastuti

ताज मोहम्मद said

बहुत ही शानदार रचना। पढ़कर दिल खुश हो गया। बहुत ही उम्दा।

रीना कुमारी प्रजापत replied

बहुत बहुत शुक्रिया आपका

कमलकांत घिरी said

उस अपने का होगा क्या.. फिक्रक न कीजिए दीदी vi आपका अपना है तो उसका जो भी होगा भला ही होगा, बहुत सुंदर प्रस्तुति👏🙌🙌

रीना कुमारी प्रजापत replied

शुक्रिया भाई आपकी दुआ लग जाए

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