सच्चा सुख
शिवानी जैन एडवोकेटByss
क्षणिक सुख की छाया में,
मन यूँ ही भरमाया है।
धन-दौलत की चकाचौंध में,
सच्चा सुख बिसराया है।
महल-अटारी, गाड़ी-घोड़े,
सब कुछ यहाँ पराया है।
अंत समय में साथ न कोई,
क्यों इतना इतराया है?
मिट्टी का यह पुतला देखो,
पल में ही ढह जाना है।
सत्कर्मों की राह पर चलकर,
सच्चा सुख तो पाना है।