जान बाकी है मेरी, जब तक उसकी जान है,
वो जान है मेरी,फिर उसके बिना कैसे मेरी जान है।
दो जिस्म एक जान हैं हम,एक दुसरे के बिना कुछ भी नहीं है हम,
जान बाकी है मेरी जब तक उसकी जान है,
उसके बिना तो मेरी जान भी बेजान है.....
जान बाकी है मेरी,जब तक उसकी जान है,
वो ज़िंदगी है मेरी,फिर उसके बिना कैसे मेरी ज़िंदगी है।
उसके बिना तो ज़िंदगी मेरी जैसे शमशान है,
जान बाकी है मेरी जब तक उसकी जान है,
उसके बिना तो मेरी जान भी बेजान है......
जान बाकी है मेरी,जब तक उसकी जान है,
वो दिल है मेरा फिर,उसके बिना कैसे रहूं मैं ज़िंदा।
उस दिल के बिना हूॅं मैं कहां,
जान बाकी है मेरी जब तक उसकी जान है,
उसके बिना तो मेरी जान भी बेजान है.......
जान बाकी है मेरी,जब तक उसकी जान है,
वो सांसें है मेरी, फिर उसके बिना चलती भला कैसे मेरी सांसें।
धड़कता है दिल में वो मेरे,फिर वो नहीं तो भला धड़केगा ये दिल कैसे,
जान बाकी है मेरी जब तक उसकी जान है,
उसके बिना तो मेरी जान भी बेजान है.......
"रीना कुमारी प्रजापत"
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




