अनजाना एहसास
मेरे सीमित से दायरे की
तू भी एक हकीकत बनी,
होगा कुछ तो खास तुझमें भी,
जो मेरी तू खास बनी।
मेरे नग़्मों की किताब की
तू भी एक नज़्म बनी,
होगा तेरे दिल का मेरे दिल से कोई पुराना नाता,
तभी मेरे शब्दों में आज तू है सजी।
मेरे खूबसूरत ख्यालों के पलों की
तू भी एक ख्याल बनी,
होगा बाकी कुछ कायनात का लेखा जोखा
जो अनजाने ही मेरी राहों में आ बसी।
वंदना सूद
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