कैसे कह दें दर्द में हम कभी रोते नहीं
आदमी हैं हम भी फ़रिश्ते तो नहीं हैं
तोलते हैं झूठ या सच बोलने से पहले
देखते हैं वो पुराने रिश्ते तो नहीं हैं
प्यार वफ़ा ईमान वादे लफ्ज हैं पुराने
दिल से जां निशाने तो बचते नहीं हैं
गम खुशी के बीच है लम्बा सा फासला
हर दवा के दाम तो सस्ते नहीं हैं
जा रहे स्कूल बच्चे अब नहीं हँसते जरा
कंधो पे लादे वजन तो बस्ते नहीं हैं
न्याय की बस बात करते रात दिन सब
खूँ खराबे के नज़ारे तो घटते नहीं हैं
फिर कहीं से एक दरिंदा दर्द का आया
दास हमको आसरे तो मिलते नहीं हैं