एक तो बदींतेजामी
ऊपर से राजनीति
हो रही है , और गेंद..
एमसीडी दिल्ली सरकार
पर तो दिल्ली सरकार
एमसीडी पर फैंक रही है।
हद तो ये है कि लोग मर
रहें हैं।
और कितने मरें
ये एनडीआरएफ वालें तय
कर रहें हैं।
जो भुक्त भोगी हैं
उनकी कोई सुनता नहीं।
और हादसों से सबक कोई
सीखता नहीं।
बड़े बड़े कोचिंग संस्थान
सपने तो बड़े बड़े दिखातें हैं ।
और बदले में छात्रों से मोटी मोटी
रकम भी चूसते हैं।
कौन क्या बनेगा कब बनेगा
ये तो छात्रों को सब पता होता है।
सामाजिक आर्थिक कुंठा से ग्रसित
एक छात्र कईं कईं वर्षों तक
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में
लगा रहता है।
और पढ़ाई के नाम पर जान तक
गवां देता है।
हुईं इन मौतों को क्या कोई लौटा
सकता है।
बुझ गया चिराग़ को क्या कोई वापस
जला सकता है।
कोचिंग अब शिक्षा नहीं
गोरख धंधा बन गया है।
सपनों की उड़ानों में
नोटों का बोझ बंध गया है।
अरे पढ़ने वाले बड़े बड़े शहरों की
छोटी छोटी गलियारों से हीं नहीं
बल्कि छोटे छोटे कस्बों गांवों
से निकल रहें हैं।
शहरों वाले इंटरनेट पर सिर्फ
फर्जी वीडियो बनाने में लगें हैं।
वहीं इन सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से ,
वंचित शोषित अभावग्रस्त छात्र आईएएस
आईपीएस बन रहें हैं।
तो समय पैसा क्यों व्यर्थ करना
इन अंधेरी गलियों में।
जबकि सफलता हाथ फैलाई खड़ी है
तुम्हारें ही अंदर आस पास
तुम्हारी हीं गलियों में।
याद रखना कोई किसी को
पारंगत बना नहीं सकता।
होती है हासिल सफलता स्वयं की चाह
उन्मेष दूरदर्शिता शांत चित्त और स्वाध्याय से।
स्वयं की बुद्धि विवेक संरचना से।
इसलिए मेरे देश के छात्रों
बच कर रहो इन लोकलुभावन
कोचिंगों की पोस्टरों से।
तुम ख़ुद लिखों अपनी सफलता की कहानी
अपनी जीतोड़ मेहनतों से।
ना किसी कोचिंग ट्यूशन या फर्जी गुरुओं की कृपा से..
बल्कि तुम ख़ुद लिखो अपनी सफलता की कहानी अपनी जी तोड़ मेहनतों से..
सबकुछ करो हासिल स्वाध्यायों से ...
सबकुछ करो हासिल स्वाध्यायों से...

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




