कैसा शिकवा तुमसे, तुमसे कैसी शिकायत।
हसंकर जियेंगें तुमको तुम हो हमारी आदत।।1।।
तेरा होना है मुझ पर खुदा की बड़ी इनायत।
जी लेंगें तुम्हें देख के बस तुम रहो सलामत।।2।।
खुदा ने भेजा बनाकर तुमको मेरी अमानत।
संभाल कर रखना खुद को हो मेरी इबादत।।3।।
ज़िम्मे ली है खुदाने मोहब्बत की हिफाज़त।
तभी तो बेख़ौफ है ये कैसी भी हो अदावत।।4।।
कहदो उससे यूँ खुदा से करते नहीं बगावत।
माफ़ी ना मिलती है उसे ना मिलती हिदायत।।5।।
नज़रें उठ जाती है दरवाजे पर हो गर आहट।
दिले नादां समझता है बस होगी तेरी आमद।।6।।
काफ़िरों का शहर है मना है खुदा ए इबादत।
गर इश्क़ है खुदा तो करली मैने ये हिमाकत।।7।।
मेरे महबूब तेरी हर एक अदा में है नज़ाकत।
सादगी से भरा तेरा हुस्न लगता है कयामत।।8।।
मौका ना देंगें तुम्हें कि इश्क़ में करो नदामत।
रुस्वा ना होने देंगें इतनी तो है मुझमे शराफ़त।।9।।
मेरा ही कातिल आया है देखो मेरी अदालत।
छोड़कर कर कहा मैने मिलेंगें हश्रे कयामत।।10।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




