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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

तुम भी कमाल करते हो

महबूब मेरे तुम भी कमाल करते हो
कभी हमें हॅंसाते हो, तो कभी खुद बहुत हॅंसते हो,
फिर क्यों अचानक चेहरे पर अपने उदासी लेआते हो। समझ ना आये तुम मुझे,
मेरे महबूब, तुम भी कमाल करते हो।

कभी बागों में जाकर फूलों से बातें करते हो
तो कभी उन्हें दर्द ना हो इसलिए किसी को उन्हें
छुने नहीं देते हो,
फिर क्यों अचानक उनसे रूठकर,तोड़ उन्हें पैरों
से कुचल देते हो।
समझ ना आये तुम मुझे,
मेरे महबूब, तुम भी कमाल करते हो।

कभी हमसे बातें बहुत करते हो,कभी हमसे
प्यार बहुत करते हो,
फिर क्यों अचानक छोड़ हमें यूं दूर चले जाते हो।
समझ ना आये तुम मुझे,
मेरे महबूब तुम भी कमाल करते हो।

कभी पागलपंती तुम बहुत करते हो
कभी समझदारी बहुत दिखाते हो,
फिर क्यों तुम्हारी सी ही हमारी पागलपंती और
समझदारी को दर किनार तुम करते हो।
समझ ना आये तुम मुझे,
मेरे महबूब, तुम भी कमाल करते हो।

~ रीना कुमारी प्रजापत




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

ताज मोहम्मद said

वाह, क्या कलमकारी है। अति सुन्दर रचना।

रीना कुमारी प्रजापत replied

बहुत बहुत शुक्रिया

डॉ कृतिका सिंह said

Sundar Rachna Shabdon Ke Mali Ne Sahitya Ke Bageeche Me Sundar Paudha Lagaaya Hai Jiske Pushp apni mahak se vatavaran ko mahka rahe hain..bahut hi khubsoorat

रीना कुमारी प्रजापत replied

बहुत बहुत आभार आपका डॉ कृतिका जी🙏🙏

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