रुको फरवरी कहा तुम चली ??
अभी अभी तो आई हो।
रुको कुछ दिन और हमारे साथ
अभी तो बहुत करनी है तुमसे बात
होरी तो खेलो हमारे साथ
फरवरी ने कहा... अब और कितने दिन ठहरू
जब आई थी तो थी ठंड भरी राते
लाई हु अब मौसम बसंत
ठंड और गर्मी दोनो से दिलाई हु छुटकारा
फिर लाई प्यारे वो दिन वेलेंटाइन के
प्रेमियों को दी प्रेम की सौगात
खेतो में हरियाली गेहूं सरसो को बाली
आम को बौर फूलो को उसका लड़कपन
प्रकृति को यौवन पेड़ो को उसका श्रृंगार
मौसम की नरमी
अब रुक कर मैं क्या करू
आने दो मार्च को वो देगा तुमको खड़ी फसलों
में अन्य का भंडार बौर में लटकते आम
होली का त्योहार
अब मैं चली न रोको मुझे
न रोको मुझे........... अनवरत
शुभम तिवारी

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




