मोमबत्तियाँ जलाए या दीपक जलाए।
अन्दर के अंधेरे को कोई कैसे मिटाए।।
दिल पर गुजर रही दीवाली क्या करे।
मनमीत गर आए तो दिल सुकून पाए।।
दिखावा 'उपदेश' मेरे किस काम का।
उसे भी जाकर कोई आइना दिखाए।।
घर से निकलना अच्छा नही लगता।
वही आए और आह दिल की मिटाए।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद