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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

कहने दो अब दिल को

कापीराइट गीत

कहने दो अब दिल को मत रोको कहने दो
बहने दो इन आंखों को मत रोको बहने दो

पूजा जिनकी करते थे आज वो अपने साथ नहीं
प्यार दिलों में बसता है यह पैसे का मोहताज नहीं
सहने दो इन बातों को मत रोको कहने दो
कहने दो अब .......................

बोया था जो कल हमने आज वही तो काट रहे
सींचा था जिस नफरत को आज वही तो बांट रहे
सुनने दो यह सब बातें मत रोको सुनने दो
कहने दो अब .......................

दिल की बातें कहने से ये दिल हल्का हो जाएगा
दर्द छुपा है इन में कितना आज बयां हो जाएगा
कहने दो अब इन को मत रोको कहने दो
कहने दो अब .......................

खोज रहे हैं मतलब अपना लोग ये सारे जग में
बनाके अपना छोड़ रहे हैं अपने ही मतलब में
अब जाने दो यादव इनको मत रोको जाने दो
कहने दो अब .......................

- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

रीना कुमारी प्रजापत said

Bahut khubsurat rachna 🙏 कोटि कोटि प्रणाम आपको और आपकी रचना को

Lekhram Yadav replied

सुप्रभात सहित नमस्कार मेरी प्यारी बहना।आपको भी मेरा हार्दिक प्रणाम और धन्यवाद।

Sandhya Sarswat said

uttam rachna

Lekhram Yadav replied

संध्या जी धन्यवाद सहित आपको पुनः नमस्कार।

Muskan Kaushik said

Waah...asa lga jese apni khani yadav sir ki jubani.

Lekhram Yadav replied

मुस्कान कौशिक जी धन्यवाद सहित नमस्कार । आपको कहानी अच्छी लगी यह मेरा सौभाग्य है।

Komal Raju said

Behatrin🙏🙏

Lekhram Yadav replied

बहुत-बहुत शुक्रिया कोमल राजू जी।

ताज मोहम्मद said

वाह भाई जी बहुत ही सुंदर प्रस्तुति।

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक स्वागत एवं धन्यवाद ताज भाई।

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