रेशा रेशा चांदनी का यह पी रही है रात
ख्वाब कितने मेरे दिल में बुन रही है रात
फूल से खुशबू उठा तितलियाँ रूपोश हैँ
जुगनूओं की फ़ौज लेकर आ रही है रात
चाँद तन्हा डर गया सारे सितारे साथ हैं
गीत खुल मदहोशियों के गा रही है रात
ठंडी हवा लाई है ये एक नई सी दास्तान
इश्क की गज़ले लिए नव आ रही है रात
दास सूरज आसमां की गश्त पे आएगा
इसलिए यह सुबह लेकर आ रही है रात II