निशा खातिर रहो तुम्हें इल्ज़ाम ना दूँगा अपनी बरबादी का।
हो कितनी भी ग़ुरबत तुम्हें पैगाम ना दूँगा मैं अपनी मददकारी का।।1।।
हर जख्म है भारी मेरे दिल का पर तुम्हें मैं दिखा सकता नहीं।
मिलने पर तुमसे कोई शिकवा गिला ना करूँगा तुम्हारी बेवफाई का।।2।।
मोहब्बत तो मोहब्बत है कोई कारोबार नही ज़िन्दगी में।
वरना मैं भी कर लेता सौदा तुम्हारे बाप से तुम्हारी बेहयाई का।।3।।
गुज़ारिश हैं तुमसे कभी मिलना तो मुझको पहचानना नही।
वरना फिर मुझ पर तोहमत ना लगाना तुम तुम्हारी रुसवाई का।।4।।
वादा किया था तुमने हमसे सफर में कभी साथ चलने का।
छोड़कर राह में तन्हा मुझे तुमने समाँ बना दिया दुनियाँ में जगहसाई का।।5।।
वह और बात है कि मैं तुम्हें बददुआ देता नहीं कभी।
पर चाहता हूँ तुम्हें भी अहसास हो ज़िंदगी में अपनों की जुदाई का।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




